मोहब्बत की गम भरी शायरी || Mohabbat Ki Gam Bhari Shayari
तो दोस्तों आज हमारा आप लोगों के साथ साझा करने वाले हैं मोहब्बत की गम भरी शायरी का बहुत सारा कलेक्शन जो कि आप लोगों को पढ़कर सुकून मिलेगा या फिर अच्छा लगेगा।
मोहब्बत के गम भरी शायरी आप लोग सर्च ही क्यों करते हो क्योंकि आपको मोहब्बत में गम मिला होगा या फिर मिल रहा है।
और आप लोग कुछ ऐसी शायरी या फिर ऐसी लाइंस पढ़ना चाहते हैं जिसको पढ़ कर आपको आपकी मोहब्बत का जो गम है उसमें कुछ सुकून मिले या फिर अच्छा लगे उनको पढ़कर इसीलिए।
वो कहते हैं ना लोग की 4 दिन की चांदनी बाकी अंधेरी रातें यह तो सही है इस मोहब्बत की दुनिया में क्योंकि मोहब्बत में हमेशा यही होता है कुछ ही दिनों या फिर कुछ ही पलों की खुशियां होती है और बाकी तो काली रातें होती है।
अगर आप लोग गूगल पर या फिर किसी अन्य सर्च इंजन से सर्च करके यहां पर आए हो तो आप सही जगह पर आए हो क्योंकि यहां पर आप लोगों को आपके पसंद की शायरी मतलब कि मोहब्बत की गम भरी शायरी जरूर मिल जाएगी।
कुछ सोचु तो तेरा ख्याल आ जाता है,
कुछ बोलू तो तेरा नाम आ जाता है।
कब तलक ब्यान करूँ दिल की बात,
हर सांस में अब तेरा एहसास आ जाता है।
रेत पर नाम कभी लिखते नहीं,
रेत पर नाम कभी टिकते नहीं।
लोग कहते है की हम पत्थर दिल हैं,
लेकिन पत्थरो पर लिखे नाम कभी मिटते नहीं।
खुदा से क्या मांगू तेरे वास्ते,
सदा खुशियाँ हो तेरे रास्ते।
हंसी तेरे चेहरे पे रहे इस तरह,
खुशबु फूलो का साथ निभाती है जिस तरह।
आज हम उनको बेवफा बताकर आए हैं,
उनके खतों को पानी में बहाकर आए हैं।
कोई निकाल न ले उन्हें पानी से,
इसलिए पानी में भी आग लगाकर आए हैं।
लबों पे नाम है जिनका उन्हें कुछ भी खबर नहीं,
गजल में दर्द है जिनका उन्हें कुछ भी खबर नहीं।
आईना मेरा मेरे अपनों से बढ़कर निकला,
जब भी मैं रोया कमबख्त मेरे साथ ही रोया।
लगी है मुझको गुलाबों की बद्दुआ शायद,
जिनको तोड़ा था मैंने कभी तेरे लिए।
इस नाजुक दिल से में किसी के लिए,
इतनी मोहब्बत आज भी है यारों कि हर रात जब तक।
आँखें ना भीग जाये तब नींद नहीं आती।।
आजाद कर देंगे तुम्हें अपनी चाहत की कैद से,
मगर वो शख्स तो लाओ जो हमसे ज्यादा कदर करे तुम्हारी।
याद आयेगी हर रोज मगर तुझे आवाज न दूँगी,
लिखूंगी तेरे ही लिए हर गजल मगर तेरा नाम न लूँगी।
मोहब्बत की बर्बादी का क्या अफसाना था,
दिल के टुकड़े हो गये पर लोगों ने कहा वाह क्या निशाना था।
ऐ खुदा इस दुनिया में एक और भी कमाल कर,
या इश्क को आसान कर या खुदकुशी हलाल कर।
बहुत सोचकर बाजार गई थी अपने कुछ आँसु बेचने,
हर खरीददार बोला अपनों के दिये तोहफे बेचा नहीं करते।
खुदा ने पूछा… क्या सजा दूँ तेरे प्यार को,
दिल से आवाज आई।
मुझसे मोहब्बत हो जाये मेरे यार को।।
मैं भी सनम बनाता किसी को तराश कर,
मुझको मेरी मिजाज का कहीं पत्थर नहीं मिला।
मोहब्बत करने वालों को वक्त कहाँ जो गम लिखेंगे,
ऐ-दोस्तों कलम इधर लाओ,
इन बेवफाओं के बारे में हम लिखेंगे।।
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