Tahalka Shayari || तहलका शायरी
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तहलका शायरी
इतना मगरूर मत बन मुझे वक्त कहते हैं,
मैंने कई बादशाहो को दरबान बनाया हैं।
हम में अकड़ है, गुरूर है,
फिर भी रेहमत देखो रब की,,
हमे चाहने के लिए सब मजबूर है।
शहर भर मेँ एक ही पहचान है हमारी,
सुर्ख आँखे गुस्सैल चेहरा और नवाबी अदायेँ।
अक्कड़ में रहते हैं तो तेरा क्या जा रहा है,
हमारे में हिम्मत है इसलिए इतना ऐटिटूड आ रहा है,,
तू काहे अपनी फालतू में जला रहा है।
ऐटिटूड एक नशा है पगली और,
मेरे बाप की इस नशे की फैक्ट्री,,
का एकलौता वारिस मैं हूँ।
Tahalka Shayari
शान से जीने का शोक है वो तो हम जियेंगे,
बस तूं अपने आप को संभाल हम तो युही चमकते रहेंगे।
दहशत बनाओ तो हमारे जैसी वरना,
ख़ाली डराना तो कुत्ते भी जानते है।
तुम कमीज़ बदल कर आओगे शायद उसे लुभाने को।
वो जुल्फें खोलकर आयेगी और तहलका मचा देगी।
शेर को जगाना ऒर हमे सुलाना,
किसी के बस की बात नही,,
हम वहाँ खड़े होते है, जहाँ मैटर बड़े होते हैं।
हमें देख कर जलती है दुनिया सारी,
तहलका मचाना तो आदत है हमारी।
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